Book Reader
Baal Yuwa Sanskar - बाल युवा संस्कार
लिए अनेक मुश्किलों तथा निराशाजनक परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है। किंतु जो धैर्य नहीं खोता, निराश नहीं होता, निरंतर प्रयास करते रहता है, उसे एक दिन सफलता अवश्य प्राप्त होती है। ‘‘विद्वान पुरूष फल मिलेगा कि नहीं, इसकी चिंता नहीं करते बल्कि निरंतर मंजिल की प्राप्ति हेतु प्रयास करते रहते हैं।’’

(29) संसार के सभी लोगों में अच्छे-बुरे दोनों प्रकार के गुण होते हैं। किसी में अच्छे गुण ज्यादा होते हैं, किसी में बुरे गुण ज्यादा होते हैं। हमें हमेशा दूसरों के अच्छे गुणों को धारण करने का प्रयास करना चाहिए, किंतु उनके अवगुणों से दूर रहना चाहिए।

(30) उद्देश्यः- पहले जीवन का परम लक्ष्य (उद्देश्य) निर्धारित करना आवश्यक है। फिर लक्ष्य पर ध्यान एकाग्र करके, योजनाबद्ध तरीके से जीवन के एक-एक क्षण का सदुपयोग करते हुए उसे प्राप्त करने का प्रयास करना होगा। बिना उद्देश्य का जीवन तराजू के समान हिलता रहता है किंतु एक जगह ठहरता नहीं है।

(31) स्वाध्यायः- व्यर्थ मंे सिनेमा-टी.वी., बाजार, दोस्त-सहेली के घर घूमना-फिरना नहीं चाहिए। इससे एकाग्रता नष्ट होती है, जिससे स्मरण शक्ति भी कमजोर होती है। साथ ही समय का भी नुकसान होता है। बुद्धि, ज्ञान व विवेक की वृद्धि के लिए शिक्षाप्रद अच्छे धार्मिक ग्रंथों का अध्ययन करना चाहिए। स्वाध्याय से अनेक सद्गुण, विद्याएँ, कलाएँ स्वतः आ जाती हैं। कहावत है ‘‘बेहतर जिंदगी का रास्ता बेहतर किताबों से होकर गुजरता है।

(32) सादगीः- सादगी से रहें, सादे वस्त्र पहनें (चमक-दमक वाले नहीं), सादा (सात्विक) भोजन करें। दिखावा, फैशन के चक्कर मंे न पड़ें। इनसे मन की एकाग्रता कम हो पढ़ायी (याददाश्त) प्रभावित होती है। हमारी आवश्यकताएँ जितनी कम होंगी, हम उतने ही सुखी होंगे । कहावत है-‘‘सादा जीवन, उच्च विचार’’ [simple living, high thinking] . आज के बच्चे-युवक-युवतियाँ तरह-तरह के फैशनेबल समान, सौंदर्य प्रसाधन, लिपिस्टिक, पाउडर, इत्र, शैम्पु, क्रीम आदि प्रयोग करते हैं। परंतु उन्हें शायद यह नहीं पता कि इन सबमें किसी न किसी पशु की चीख भरी हुयी है। लिपिस्टिक में खरगोश के खून का प्रयोग होता है। महिलाओं के बेस पाउडर को ‘स्लेण्डलोरिस’ नामक बंदर के दिल व आँखों को घिसकर बनाया जाता है। सेंट को ‘बिज्जु’ नाम के जानवर को पीटकर उसके शरीर से निकलने वाले तत्व से बनाया जाता है। अनेक जीव-जंतु, चमड़े के समान पर्स, सूटकेस, चप्पल, जूते, बेल्ट आदि के लिए मारे जाते हैं। इस प्रकार इन समानों के प्रयोग से जाने-अनजाने में हम भी पशुओं की हिंसा व क्रूरता को बढ़ावा दे रहे हैं।

(33) धन को ही जीवन का लक्ष्य या सबसे बड़ी शक्ति नहीं समझनी चाहिए। विचार करना होगा कि हम धन से क्या खरीद सकते हैं। हम धन से कोमल गद्देदार बिस्तर तो खरीद सकते हैं किंतु चैन की नींद नहीं। स्वादिष्ट भोजन तो खरीद सकते हैं किंतु भूख नहीं। सौंदर्य सामग्री तो खरीद सकते हैं किंतु रूप नहीं। दिखावे का मान खरीद सकते हैं किंतु सच्चा प्रेम नहीं। अतः संयम से सदाचार पूर्वक रहते हुए, आनंद व शांति के मूल स्रोत परमात्मा को प्राप्त करने का प्रयास करना चाहिए।

(34) अंधविश्वासः- युवाओं को कभी अंधविश्वास व रूढ़िवादिता में नहीं फँसना चाहिए। देखा-देखी ‘चींटी हार-ऊँट कतार’ के समान गलत रास्ते पर नहीं चलना चाहिए। कोई भी कार्य सोच-समझकर करना चाहिए।

(35) जुआः- जुआ एक विनाशकारी दुव्र्यसन है। जुए से हजारों घर बर्बाद हो गये। जुए के कारण ही पाण्डवों को 12 वर्ष वनवास तथा 1 वर्ष अज्ञातवास झेलना पड़ा। जुए का कोई अंत नहीं होता। एक बार जीत होती है, फिर हार ही हार होती है। जीत में भी (लालच की वजह से) छोड़ा नहीं जाता, हार में भी (खोया धन पाने की चाह में) छोड़ा नहीं जाता। इसे विवेकपूर्वक छोड़ना होगा।

(36) आत्मचिंतनः- एकांत में कभी-कभी आत्मचिंतन करना चाहिए। अपने गुणों-अवगुणों का निरीक्षण करना चाहिए तथा अवगुणों को